Thursday, January 28, 2016

BHAGAVA GITA CHAPTER 11 -BY PRAVEEN SHARMA IN HINDI AT BHARATIYA TEMPLE TO NIGHT AT 7 P.M

Dear Friends, please bring your home work
 Last time we did.
भगवद्गीता अध्याय ११: विश्वरूपदर्शन​योग​: श्लोक १ - ३३ IN LAST SATSANG WE DID
११.८ भगवान को देख पाने के लिए कैसी आँखों की ज़रूरत है?
दिव्यं ददामि ते चक्षुः
मैं तुझे दिव्य चक्षु देता हूँ
मैं देता हूँ तुझ को खु़दाई बसर
११.१२ संजय ने विराट् भगवान के प्रकाश की तुलना किस से की है?
दिवि सूर्यसहस्रस्य
आकाशमें हजार सूर्योंके
फ़लक पर निकल आयें सूरज हज़ार
११.१३ भगवान के शरीर और जगत् में अर्जुन ने क्या अन्तर देखा?
तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नम्
सम्पूर्ण जगत् को भगवानके उस शरीरमें
उसी के तन-ए पाक में है अयाँ
११.३२ यदि अर्जुन युद्ध नहीं करता तो क्या विपक्ष की विजय निश्चित थी?
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे
तेरे बिना भी नहीं रहेंगे
तू हो न हो ये सब-के-सबहलाक कर चुका हूँ मैं
११.३३ भगवान ने अर्जुन को किस भाव से युद्ध करने का परामर्श दिया?
निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्
तू तो केवल निमित्तमात्र बन जा
तू बायें हाथ वाले उठवसीला बन न देर कर

आज का सत्संग 34 to 55 -1/28/16 THURSDAY @ 7:00 P.M
११.३४ भीष्मद्रोणजयद्रथ और कर्ण पर विजय का श्रेय किसको जाना चाहिये?
.४८ क्या वेदयज्ञदानतप और क्रिया से विश्वरूप के दर्शन हो सकते हैं?
.५३ क्या वेदयज्ञदान और तप से चतुर्भुजरूप के दर्शन हो सकते हैं?
.५४ भगवान कैसे प्राप्त किये जाते हैं?
.५५ अनन्य भक्ति के क्या साधन हैं?

     Wishing you lots of love, joy and happiness. 
       Rita, Mom to Kishan forever

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