भारतीय मंदिर
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फोन २१५-९९७-११८१ 215-997-1181
अगला सत्संग : बुधबृहस्पतिवार, २९ सितम्बर, २०१६ ७:०० बजे सांय - ८:३० बजे
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भगवद्गीता
अध्याय १५: पुरुषोत्तमयोग:श्लोक १ - ७
१५.१ यह संसार-वृक्ष क्या
है ?
१५.३ संसारवृक्षका वर्णन
करनेका क्या प्रयोजन है ?
१५.४ संसारवृक्षका छेदन
करनेके बाद साधकको क्या करना चाहिये ?
१५.६ भक्त जिस अविनाशी
पदको प्राप्त करते हैं, वह अविनाशी पद कैसा है ?
१५.७ जीवकी किस भूलसे उसे
नित्यप्राप्त परमात्मस्वरूपका अनुभव नहीं हो रहा है ?
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24 अगस्त, 2016 7:00 बजे सांय - 8:30 बजे सांय
चर्चा का विषय: भगवद्गीता अध्याय १४: गुणत्रयविभागयोग:श्लोक १३ - २७
१४.१३ बढ़े हुए तमोगुणके क्या लक्षण होते हैं ?
१४.१४ बढ़े हुए सत्त्वगुणकी वृत्तिका क्या फल होता है ?
१४.१५ बढ़े हुए रजोगुण और तमोगुणकी वृत्तियोंका क्या फल होता है ?
१४.२० देहधारी तीनों गुणोंका अतिक्रमण करके क्या अनुभव करता है ?
१४.२४ गुणातीत मनुष्यके आचरण कैसे होते हैं ?
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