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फोन २१५-९९७-११८१/215-997-1181
चर्चा का विषय:भगवद्गीता
अध्याय १६: दैवासुरसम्पद्विभागयोग: श्लोक १२-२४
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अध्याय १६: दैवासुरसम्पद्विभागयोग: श्लोक १२-२४
बृहस्पतिवार, १५ दिसम्बर, २०१६ ७:०० बजे सांय - ८:३० बजे सांय
15 दिसम्बर, 2016 7:00 बजे सांय - 8:30 बजे सांय
१६.१५ आसुर स्वभाववाले व्यक्ति किस प्रकारके मनोरथ करते हैं ?
१६.१७ आसुर मनुष्य किसलिये यज्ञ करते हैं ?
१६.२१ नरकमें जानेका मूल कारण क्या है ?
१६.२३ जो शास्त्रविधिके अनुसार नहीं चलते हैं, उनकी क्या गति होती है ?
१६.२४ मनुष्यको क्या करना चाहिये ?
परिवार के अन्य सदस्यों एवं मित्रों के साथ आएँ तथा सत्संग का लाभ उठाएँ
(610) 275-7472 btiedu11@aol.com
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17 नवम्बर, 2016 7:00 बजे सांय - 8:30 बजे सांय
चर्चा का विषय:
भगवद्गीता अध्याय १६: दैवासुरसम्पद्विभागयोग: श्लोक १-११
१६.४ सांसारिक भोग भोगनेका उद्देश्य रखनेवालोंकी कौन-सी सम्पत्ति है ?
१६.५ दैवी और आसुरी सम्पत्तियोंका क्या फल होता है ?
१६.७ भगवान् से विमुख मनुष्यमें आसुरी-सम्पत्ति किस क्रमसे आती है ?
१६.११ आसुरी प्रकृतिवालोंका भाव किस प्रकारका होता है ?
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'Gita Mukundananda'. http://www.holy-bhagavad-gita.org/
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